
राजस्थान की आन बान और शान का प्रतीक पगड़ी और साफा आज पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है. प्रदेश में आने वाले मेहमानों को मान और सम्मान के रूप में पगड़ी भेंट करने की परंपरा आज भी निभाई जाती है. बीकानेर शहर के ऐतिहासिक जूनागढ़ किले के पवन व्यास अपने हाथ की अंगुलियों पर अलग-अलग पगड़ी बांधकर उसके महत्व को बताया. इतना ही नहीं अलग-अलग समुदाय में पहनी जाने वाली पगड़ियों को सजोने का काम भी कर रहे हैं. पगड़ी और साफे तो आपने खूब देखे होंगे लेकिन यह पगड़िया उनसे विशेष हैं. क्योंकि इन पगड़ियों को हाथ की अंगुलियों पर ही बांधा जाता है. राजस्थान की संस्कृति में तरह-तरह की रंग बिरंगी पगड़ियां सिर पर पहनने का रिवाज और शौक सदियों से चला आ रहा है. यहां हर वर्ग और समुदाय के पुरुषों के सिर पर अलग-अलग रंग और डिजाइन की पगड़ियां नजर आती हैं. शादी हो या कोई समारोह पगड़ी के बिना पूरा नहीं माना जाता है.
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